24 अप्रैल: ‘क्रिकेट धर्म’ के ‘भगवान’ का जन्म, सचिन जो अब सोच हैं !

सचिन रमेश तेंदुलकर, एक ऐसी शख़्सियत जिसने भारत में क्रिकेट की सोच बदल डाली। अगर 1983 में कपिल देव की कप्तानी में वर्ल्ड कप जीतने के बाद भारतीय क्रिकेट टीम ने देशवासियों का क्रिकेट के खेल में जुनून बढ़ाया, तो 1989 में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ डेब्यू करने वाले 16 साल के लड़के ने क्रिकेट के इस खेल को धर्म में तब्दील कर दिया।

24 अप्रैल 1973 में एक साधारण से परिवार में जन्में सचिन का नाम मशहूर संगीतकार सचिन देव बर्मन पर पड़ा। शायद इस नाम का ही असर था कि जैसे एस डी बर्मन के संगीत पर लोग झूम उठते थे, कुछ उसी तरह सचिन तेंदुलकर के बल्ले से निकले शॉट भी क्रिकेट प्रेमियों की आंखों को सुकून देते थे और ऐसा लगता था मानो किसी मधुर संगीत की तान पर बल्लेबाज़ी हो रही हो।

दशक पर दशक बदलते गए, भारतीय क्रिकेट ने कई ऊंचाईयों को छुआ तो मैच फ़िक्सिंग के साए ने भी देशवासियों से लेकर खिलाड़ियों तक को मायूस कर दिया। लेकिन जिस तरह एक धर्म को बचाने के लिए मसीहा आगे आता है, कुछ वैसे ही क्रिकेट के इस धर्म को सचिन का साथ मिला और उन्होंने 3 दशकों तक भारतीय क्रिकेट की उम्मीदों के बोझ को अपने कंधों पर उठाया। विश्वास और उम्मीद का दूसरा नाम ही बन गए ”सचिन तेंदुलकर”।

फिर वह वक़्त भी आया जब सचिन को विश्वविजेता भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों ने कंधों पर उठाया और उनके उस सपने को साकार किया जिसके लिए सचिन ने क्रिकट खेलना शुरू किया था।
आलोचक ये भी कहते हैं कि सचिन तेंदुलकर का ज़रूरत से ज़्यादा महिमामंडन किया गया। कुछ तो ये भी कहते हैं कि सचिन मैच विनर नहीं थे, लेकिन शायद वह ये भूल जाते हैं कि 24 सालों तक जिस अंदाज़ में सचिन ने सरहदों की दूरियों को अपने स्ट्रेट ड्राइव और अपर कट से एक कर दिया था, वह मैच ही नहीं दिल जीतने में भी माहिर थे।

सचिन को भगवान का दर्जा मिलना कोई महिमामंडन नहीं, इस्लाम मुझे सचिन को ख़ुदा कहने का हक़ भले ही न दे, लेकिन “क्रिकेट” अगर धर्म है तो सचिन ज़रूर उसके भगवान, क्योंकि जैसे जब सबकुछ भगवान ठीक कर देते हैं, वैसे ही क्रिकेट के हर बुरे दौर और वक़्त को ठीक कर देने का विश्वास ही “सचिन” हैं।

वह भी एक ऐसा विश्वास, जो एक सोच बन गई और क्रिकेट का दूसरा नाम ही सचिन तेंदुलकर कहलाने लगा। हाथ में बल्ला और पैरों में पैड पहनने वाला हर क्रिकेटर आज भी यही सोचकर मैदान में उतरता है कि वह सचिन बनेगा।

क्रिकेट की सोच, सपने, और सदी के सबसे बड़े शहंशाह-ए-क्रिकेट को उनके 44वें जन्मदिन पर तहे दिल से मुबारकबाद…

#सैयदकीस्याहीसे…